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वैवाहिक जीवन को सुखी करने में ग्रहों का योगदान.
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वैवाहिक जीवन को सुखी करने में ग्रहों का योगदान.
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वैवाहिक जीवन को सुखी करने में ग्रहों का योगदान:- जन्म कुंडली में सातवे भाव से वैवाहिक जीवनका विचार किया जाता हे , वैवाहिक जीवन सुख मय रहेंगा या मन-मुटाव रहेंगा या और कोई बाधाए उपस्थित होंगी ? तो इसके लिए गुरु, शुक्र और मंगल का बारीकी से अभ्यास करना जरुरी है | १)गुरु:- जन्म कुंडली में गुरु महाराज अगर बलवान है , सप्तम स्थान को शुभ द्रष्टि कर रहे है , तो वैवाहिक जीवन में बाधाए-परेशानीओ के बाद भी अलगाव की स्थिति नहीं बनती है | गुरुदेव की कुंडली में शुभता दाम्पत्य जीवनमे चढाव-उतारके बादभी बाधाओको दूर करते रहते है और जोडके रखते है | गुरु संतान का भी कारक है | अगर कुंडली में गुरु पाप-पीड़ित है तो पहले विवाह में विलम्ब-बाधाओका सामना करना पड़ेंगा बाद में संतान सुख प्राप्ति में बाधा खड़ी होंगी | इस लिए अगर कुंडली में गुरु महाराज पाप पीड़ित है तो संतान सुख प्राप्ति में बाधाओका अनुभव हो सकता है और दाम्पत्य जीवन में अनेक प्रकार की समस्या आनेका संभव रहता है |...... २)शुक्र:- शुक्र वैवाहिक सुख का कारक ग्रह है ,अगर कुंडली में शुक्र बलवान है , शुभ स्थिति में है, अपनी स्व राशी या उच्च राशी में बेठा है , शुभ स्थान में स्थित है , शुभ ग्रहकी द्रष्टि में है तो दाम्पत्य जीवन में आपसी संबंधो में सुख की संभावना बढती है | एक-दूजे के प्रति लगाव-आकर्षण बनाए रखता है | अगर शुक्र कुंडली में पाप पीड़ित है , अशुभ स्थान में बेठा है , नीच राशी का है या मंगल-राहू से सम्बंधित है तो निच्श्चित ही वैवाहिक जीवन में मन-मुटाव , बाधाए खड़ी हो शक्ति है | कुंडली में शुक्र का किसीभी अशुभ स्थिति में होना पति और पत्नी में से किसीका भी अपने जीवन साथी के अलावा अन्यत्र संबंधो की और झुकाव होने की संभावना बढाता है | शुक्र की अशुभ स्थिति वैवाहिक जीवन में अलगाव तक की स्थिति खड़ी कर सकता है | ज्यादातर कुंडलीओमे ,जो वैवाहिक जीवन में समस्या ओका सामना कर रहा है, मन-मुटाव् खड़ा हुआ है या या बात अलग होने तक पहुची है , या वैवाहिक जीवन में हिंसा का सामना करना पड़ रहा है , दाम्पत्य जीवन दुखी है, ऐसे किस्सोमे एक बात ,खास करके स्त्री की कुंडली में हमें देखने को मिली हे की शुक्र का कही न कही मंगल और राहुसे सम्बन्ध बना होता है | ३) मंगल:-कई लोग तर्क करते है की भाई मंगल का नाम ही मंगल है तो फिर वह क्या अमंगल करेंगा ? बात तो सही हे की भाई जिसका नाम ही मंगल है वह अमंगल कैसे कर सकता है, पर जब बात वैवाहिक जीवन की आती है तब मंगल देव की, कुंडली में स्थिति शुभ है या अशुभ है वह देखना बहुत जरुरी हो जाता है | हमारे पास जो भी वैवाहिक जीवनकी समस्या लेकर आते है, और खास करके स्त्री वर्ग की कुंडलियो में हमें मंगल के साथ राहू का सम्बन्ध अवश्य देखने को मिला है , जब यह योग बहुत अशुभ होकर बना हुआ है, तब ज्यादातर किस्सों में डिवोर्स तक की नोबत आ जाती है | वैवाहिक जीवन दुखी-दुखी हो जाता है | कुंडली मिलान मे भी मंगल का दोष पहले देखा जाताहै , मंगल का दोष के कारन वैवाहिक जीवन के सुख में कमी आनेकी संभावनाए ज्यादा बढती है | सही तरीके से कुंडली मिलन होने पर मंगल दोष का उपाय तो मिल जाता है लेकिन अगर आगे बताया इसी प्रकार अगर मंगलदेव का शनि या राहू से किसी भी प्रकार से अशुभ सम्बन्ध कुंडली में बनता है तो फिर तो ज्यादा परेशानी वाली बात हो जाती है |