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Monday, 6 August 2012

कालसर्प योग



जब जनमपत्रिका में राहू व केतु के मध्य सारे ग्रह आ जायें और यदि एक-दो ग्रह राहू-केतु की पकड़ से बाहर हों तो कालसर्प योग की छाया कहा जाता है|

यह एक बहुत ही कष्टदायक योग है|इस योग की यह विशेषता होती है की यह व्यक्ति को मध्यम स्थिति में नही रखता है|यह व्यक्ति को अत्यधिक उंचाई प्रदान नही करता|अथवा निम्न स्तर का कर देता है|यह व्यक्ति को संघर्ष तो देता है,इसके प्रभाव से संतानहीनता,विवाह में बाधा अथवा संघर्षमय जीवन भी देता है|

यहाँ पर आपको कुछ सामान्य उपाय बता रहें हैं जिनकेकरने से इस योग के विषय में कुछ कमी अवश्य आती है|

  1. ८ नारियल पर चन्द१०न से तिलक पूजन कर "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स:राहवे नमः "का १०८ बार जाप कर पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से उसार कर बुधवार को नदी या बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए|
  1. प्रथम बुधवार से नीले कपड़े में काली उड़द बाँध कर वट वृक्ष की १०८ परिक्रमा आरम्भ करें|परिक्रमा के बाद उस उरद की दाल किसी को दान कर देनी चाहिए|ऐसा लगातार ७२ बुधवार करना चाहिए|
  1. नागपंचमी को सपेरे से अपने धन से नाग-नागिन के जोड़े को पूजन के बाद मुक्त करवा देना चाहिए|
  1. प्रथम बुधवार से आरम्भ कर लगातार आठ बुधवार को क्रमश :स्वर्ण,चांदी,ताम्बा,पीतल,कांसा,लोहा,रांगे व सप्तधातु के नाग-नागिन के जोड़े को पूजन के बाद दूध के दोने में रख कर बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए|
  1. प्रत्येक शिवरात्रि,श्रावण मास तथा ग्र्ह्काल में शिव अभिषेक अवश्य करवाना चाहिए|
  1. नियमित रूप से हनुमान जी उपासना के साथ शनिवार को सुंदरकांड के पाठ के साथ एक माला "ॐ हं हनुमंते रुद्रात्मकाये हुं फट"का जाप करने से भी लाभ प्राप्त होता है|
  1. नाग मंदिर का निर्माण करवाएं|
  1. कार्तिक अथवा चेत्र मास में सर्पबलि करवानी चाहिए|
  1. नागपंचमी को सर्पाकार की सब्जी अपने वजन के बराबर लेकर गाय को खिलाएं|