Wednesday, 22 August 2012

केमद्रुम योग (Kemadruma Yoga)

केमद्रुम योग ज्योतिष में चंद्रमा से निर्मित एक महत्वपूर्ण योग है. वृहज्जातक में वाराहमिहिर के अनुसार यह योग उस समय होता है जब चंद्रमा के आगे या पीछे वाले भावों में ग्रह न हो अर्थात चंद्रमा से दूसरे और चंद्रमा से द्वादश भाव में कोई भी ग्रह नहीं हो.

ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र को मन का कारक कहा गया है. सामान्यत: यह देखने में आता है कि मन जब अकेला हो तो वह इधर-उधर की बातें अधिक सोचता है और ऎसे में व्यक्ति में चिन्ता करने की प्रवृति अधिक होती है.  इसी प्रकार के फल केमद्रुम योग देता है.

केमद्रुम योग कैसे बनता है:---------



यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों स्थानों में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम नामक योग बनता है या चंद्र किसी ग्रह से युति में न हो या चंद्र को कोईशुभ ग्रह न देखता हो तो कुण्डली में केमद्रुम योग बनता है. केमद्रुम योग के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है.


इस योग में उत्पन्न हुआ व्यक्ति जीवन में कभी न कभी दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त होता है. इसके साथ ही साथ व्यक्ति अशिक्षित या कम पढा लिखा, निर्धन एवं मूर्ख भी हो सकता है. यह भी कहा जाता है कि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष का उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है. वह सामान्यत: घर से दूर ही रहता है. परिजनों को सुख देने में प्रयास रत रहता है. व्यर्थ बात करने वाला होता है. कभी कभी उसके स्वभाव में नीचता का भाव भी देखा जा सकता है.


केमद्रुम योग के शुभ और अशुभ फल:---


केमद्रुम योग में जन्‍म लेनेवाला व्‍यक्ति निर्धनता एवं दुख को भोगता है. आर्थिक दृष्टि से वह गरीब होता है.  आजिविका संबंधी कार्यों के लिए परेशान रह सकता है. मन में भटकाव एवं असंतुष्टी की स्थिति बनी रहती है.  व्‍यक्ति हमेशा दूसरों पर निर्भर रह सकता है. पारिवारिक सुख में कमी और संतान द्वारा कष्‍ट प्राप्‍त कर सकता है. ऐसे व्‍यक्ति दीर्घायु होते हैं.

केमद्रुम योग के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह योग संघर्ष और अभाव ग्रस्त जीवन देता है.  इसीलिए ज्योतिष के अनेक विद्वान इसे दुर्भाग्य का सूचक कहते हें. परंतु लेकिन यह अवधारणा पूर्णतः सत्य नहीं है.  केमद्रुम योग से युक्त कुंडली के जातक कार्यक्षेत्र में सफलता के साथ-साथ यश और प्रतिष्ठा भी प्राप्त करते हैं. वस्तुतः अधिकांश विद्वान इसके नकारात्मक पक्ष पर ही अधिक प्रकाश डालते हैं. यदि इसके सकारात्मक पक्ष का विस्तार पूर्वक विवेचन करें तो हम पाएंगे कि कुछ विशेष योगों की उपस्थिति से केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में परिवर्तित हो जाता है. इसलिए किसी जातक की कुंडली देखते समय केमद्रुम योग की उपस्थिति होने पर उसको भंग करने वाले योगों पर ध्यान देना आवश्यक है तत्पश्चात ही फलकथन करना चाहिए.


केमद्रुम योग का भंग होना :---------

जब कुण्डली में लग्न से केन्द्र में चन्द्रमा या कोई ग्रह हो तो केमद्रुम योग भंग माना जाता है.  योग भंग होने पर केमद्रुम योग के अशुभ फल भी समाप्त होते है.  कुण्डली में बन रही कुछ अन्य स्थितियां भी इस योग को भंग करती है, जैसे चंद्रमा सभी ग्रहों से दृष्ट हो या चंद्रमा शुभ स्‍थान में हो या चंद्रमा शुभ ग्रहों से युक्‍त हो या पूर्ण चंद्रमा लग्‍न में हो या चंद्रमा दसवें भाव में उच्‍च का हो या केन्‍द्र में चंद्रमा पूर्ण बली हो अथवा कुण्डली में सुनफा, अनफा या दुरुधरा योग बन रहा हो, तो केमद्रुम योग भंग हो जाता है. यदि चन्द्रमा से केन्द्र में कोई ग्रह हो तब भी यह अशुभ योग भंग हो जाता है और व्यक्ति इस योग के प्रभावों से मुक्त हो जाता है.
कुछ अन्य शास्त्रों के अनुसार- यदि चन्द्रमा के आगे-पीछे केन्द्र और नवांश में भी इसी प्रकार की ग्रह स्थिति बन रही हो तब भी यह योग भंग माना जाता है. केमद्रुम योग होने पर भी जब चन्द्रमा शुभ ग्रह की राशि में हो तो योग भंग हो जाता है. शुभ ग्रहों में बुध्, गुरु और शुक्र माने गये है. ऎसे में व्यक्ति संतान और धन से युक्त बनता है तथा उसे जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है.


केमद्रुम योग की शांति के उपाय :-------

केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने हेतु कुछ उपायों को करके इस योग के अशुभ प्रभावों को कम करके शुभता को प्राप्त किया जा सकता है. यह उपाय इस प्रकार हैं-

      (1) सोमवार को पूर्णिमा के दिन अथवा सोमवार को चित्रा नक्षत्र के समय से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा का व्रत रखें.

       (2) सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं व पूजा करें.  भगवान शिव ओर माता पार्वती का पूजन करें. 

      (3) रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र " ऊँ नम: शिवाय" का जप करें ऎसा करने से  केमद्रुम योग के अशुभ फलों में कमी आएगी.

      (4) घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके नियमित रुप से श्रीसूक्त का पाठ करें.  दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को 
स्नान कराएं तथा चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण करके उसे सदैव अपने पास रखें  या धारण करें.


  कुंडली में मुख्यत: दो प्रकार के योग होते हैं- शुभ योग और अशुभ योग। अशुभ योगों में से 

एक है केमद्रुम योग। केमद्रुम योग चंद्रमा के आजू-बाजू [अगल-बगल] में किसी भी ग्रह के न 

होने से बनता है। इसमें राहु या केतु को नहीं माना गया है। 

   इसका मुख्य कारन यह समजा जाता हे की, चन्द्रमा जो हे वह पर-प्रकाशित हे, सूर्य 

भगवान की रोशनी पड़ने पर वह प्रकाशित दिखता हे, अतः स्वयं अपना कोई पूर्ण वजूद न 

होने के कारण, भी जब उसके आजू-बाजु जब कोई ग्रह  नहीं होता तब वह निर्बल माना जाता 

हे , और अकेला शुभ फल देनेमे समर्थ नहीं बनता ...

   चन्द्रमा जो मनका कारक हे, उसका कुंडली में बलवान होना जरुरी माना जाता हे। सूर्य 

आत्म  कारक  हे, उसका बलवान हो न भी आवश्यक हे, अतः सूर्य-चन्द्र के बला-बल पर ही 

कुंडली शुभा-शुभ फल देने में समर्थ बनती हे। 

   सूर्य-चन्द्र के साथ कुंडली में जब राहू-केतु, शनि का सम्बन्ध बनता हे , युति-प्रतियुति या 

द्रष्टि से योग बनता हे वह भी "विष-योग" होने के कारन कम-द्रुम योग जेसाही फल प्रदान 

करता हे।  

  ग्रहों के वर्गीकरण अनुसार शुभ ग्रह [गुरू, शुक्र, चंद्र, बुध] शुभ फल ही प्रदान करेंगे और 

पाप ग्रह सूर्य, शनि कुंडली में ग्रहों की स्थिति, युति, बलाबल के आधार पर अशुभ फल देंगे। 

अर्थात पूर्ण कुंडली का बारीकी से अध्ययन किए बिना और आधार पर निर्णय गलत हो सकता 

है। इसलिए ज्योतिषियों को चाहिए कि केवल एक योग के आधार पर ही फलादेश करने की 

बजाए कुंडली का पूर्ण आकलन करें।


धर्म और ज्योतिष व्यक्ति को भ्रमित नहीं करता। अपितु मार्ग दर्शन करते हैं। इसका उपाय 

करने से दोष परिहार हो जाता है। अपने व्यक्तित्व, परिश्रम, शुभ-कर्म और ईश्वर पर अटूट 

श्रद्धा, विश्वास से जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

   निम्न परिस्थितियों में केमद्रुम योग भंग माना जाता है-

1. यदि कोई ग्रह जन्म लग्न में केंद्र में हो।

2. चंद्रमा जन्म लग्न में [प्रथम] हो।

3. कोई ग्रह चंद्र से लग्न में हो अर्थात चंद्र से युक्त हो।

4. चंद्र को सभी ग्रह देखते हों।

5. चंद्र शुभ ग्रह से युक्त हो और गुरू द्वारा दृष्ट हो।

6. पूर्ण बली चंद्र शुभ स्थान में हो तथा शुभ ग्रह के साथ हो।



केमद्रुम योग  इतना अनिष्टकारी नहीं होता जितना कि वर्तमान समय के ज्योतिषियों ने इसे बना दिया है. व्यक्ति को इससे भयभीत नहीं होना चाहिए क्योंकि यह योग व्यक्ति को सदैव बुरे प्रभाव नहीं देता अपितु वह व्यक्ति को जीवन में संघर्ष से जूझने की क्षमता एवं ताकत देता है, जिसे अपनाकर जातक अपना भाग्य निर्माण कर पाने में सक्षम हो सकता है और अपनी बाधाओं से उबर कर आने वाले समय का अभिवादन  कर सकता है.

Tuesday, 7 August 2012

लाल किताब के सरल-चमत्कारिक उपाय

लाल किताब में दिए गए उपाय अपने आप में एक चमत्कारिक उपाय हे | इतने के  सरल हे की कोई भी आम आदमी इसे आजमा सकता  हे , न इसमें कोई विधि-विधान की जरुरत हे न ही इसमें कोई मंत्र-तंत्र का आधार लेना पड़ता हे , बस अपने रोज-बरोज के जीवनमे इसे अपनाकर थोडा बदलाव लाना हे | कुछ इसे सरल उपाय यहाँ प्रस्तुत हे | आशा हे की पाठक इसे अपने जीवनमे आजमाकर लाभ ले सके |
  1.       आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :
यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !
2.       घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :
इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या
एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !
3.       परेशानी से मुक्ति के लिए :
आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !
4.      कुंवारी कन्या के विवाह हेतु :
१.       यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !
२.      प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी
5.       व्यापार बढाने के लिए :
१.       शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन अपनी फैक्ट्री या दुकान के दरवाजे के दोनों तरफ बाहर की ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख दें ! ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई देखे नही !
२.      पूजा घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें !
३.      शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें ! दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दें और तीसरा हिस्सा अपने सिर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार वार कर किसी चौराहे पर रख दें ! यह प्रयोग 40 दिन तक करें ! कारोबार में लाभ होगा !
6.       लगातार बुखार आने पर :
१.       यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा !
२.      इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें !
३.      यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा !
7.       नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :
पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें ! उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें ! ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें ! उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो ! एक से ज्यादा डलियां नहीं होनी चाहिए !
8.        कारोबार में नुकसान हो रहा हो या कार्यक्षेत्र में झगडा हो रहा हो तो :
यदि उपरोक्त स्थिति का सामना हो तो आप अपने वज़न के बराबर कच्चा कोयला लेकर जल प्रवाह कर दें ! अवश्य लाभ होगा !
9.       मुकदमें में विजय पाने के लिए :
यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !
10.       धन के ठहराव के लिए :
आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !
11.       मानसिक परेशानी दूर करने के लिए :
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !
12.       बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :
१.       एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !
२.      प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !
13.       किसी रोग से ग्रसित होने पर :
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !
14.       प्रेम विवाह में सफल होने के लिए :
यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !
15.       नौकर न टिके या परेशान करे तो :
हर मंगलवार को बदाना (मीठी बूंदी) का प्रशाद लेकर मंदिर में चढा कर लडकियों में बांट दें ! ऐसा आप चार मंगलवार करें !
16.       बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :
हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !
17.       यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो :
१.       कुएं में दूध डालें! उस कुएं में पानी होना चहिए !
२.      काला कम्बल किसी गरीब को दान दें !
३.      6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों !
18.       अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो :
१.       गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें !
२.      हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें !
19.       पति को वश में करने के लिए :
यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए ! एक पान का पत्ता लें ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें ! फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें ! और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय ! यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें ! 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें ! शीघ्र समस्या का समाधान होगा |
     लाल किताब जीवन में सदाचार का पालन करनेकी रीत बताता हे , इस संसार में हर एक चीज एक दुसरे से सम्बंधित हे , एक-दुसरे के आधार पर टिकी हुई हे, यह कोई अकेला पूरी सफलता पाप्त नहीं कर सकता ,नाही दावा कर सकता हे की मेने अपने बल-बूते पे यह सफलता अर्जित की हे , इस संसार में हर चीज एक-दुसरे की पूरक हे- एक दुसरेकी सहायक हे | लाल किताब में छोटीसे छोटी और  बड़ी से बड़ी चीजो को एक दुसरे से जोड़कर सरल उपाय बताये हे ,जिसे अपनाकर आदमी अपना और दुसरोका भला कर सकता हे | स्वार्थ परमार्थ के आधार पर यह पूरा ग्रन्थ रचा हुआ हे | "कर भला तो हो भला" बस इसी ही कुछ बाते यहाँ बताती गई हे , जिसे आजमनेसे चमत्कारिक परिणाम मिलते हे|   




Monday, 6 August 2012

कालसर्प योग



जब जनमपत्रिका में राहू व केतु के मध्य सारे ग्रह आ जायें और यदि एक-दो ग्रह राहू-केतु की पकड़ से बाहर हों तो कालसर्प योग की छाया कहा जाता है|

यह एक बहुत ही कष्टदायक योग है|इस योग की यह विशेषता होती है की यह व्यक्ति को मध्यम स्थिति में नही रखता है|यह व्यक्ति को अत्यधिक उंचाई प्रदान नही करता|अथवा निम्न स्तर का कर देता है|यह व्यक्ति को संघर्ष तो देता है,इसके प्रभाव से संतानहीनता,विवाह में बाधा अथवा संघर्षमय जीवन भी देता है|

यहाँ पर आपको कुछ सामान्य उपाय बता रहें हैं जिनकेकरने से इस योग के विषय में कुछ कमी अवश्य आती है|

  1. ८ नारियल पर चन्द१०न से तिलक पूजन कर "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स:राहवे नमः "का १०८ बार जाप कर पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से उसार कर बुधवार को नदी या बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए|
  1. प्रथम बुधवार से नीले कपड़े में काली उड़द बाँध कर वट वृक्ष की १०८ परिक्रमा आरम्भ करें|परिक्रमा के बाद उस उरद की दाल किसी को दान कर देनी चाहिए|ऐसा लगातार ७२ बुधवार करना चाहिए|
  1. नागपंचमी को सपेरे से अपने धन से नाग-नागिन के जोड़े को पूजन के बाद मुक्त करवा देना चाहिए|
  1. प्रथम बुधवार से आरम्भ कर लगातार आठ बुधवार को क्रमश :स्वर्ण,चांदी,ताम्बा,पीतल,कांसा,लोहा,रांगे व सप्तधातु के नाग-नागिन के जोड़े को पूजन के बाद दूध के दोने में रख कर बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए|
  1. प्रत्येक शिवरात्रि,श्रावण मास तथा ग्र्ह्काल में शिव अभिषेक अवश्य करवाना चाहिए|
  1. नियमित रूप से हनुमान जी उपासना के साथ शनिवार को सुंदरकांड के पाठ के साथ एक माला "ॐ हं हनुमंते रुद्रात्मकाये हुं फट"का जाप करने से भी लाभ प्राप्त होता है|
  1. नाग मंदिर का निर्माण करवाएं|
  1. कार्तिक अथवा चेत्र मास में सर्पबलि करवानी चाहिए|
  1. नागपंचमी को सर्पाकार की सब्जी अपने वजन के बराबर लेकर गाय को खिलाएं|

शीघ्र विवाह एवं विवाह में रुकावट दूर करने के उपाय...


  • विवाह योग्य लोगों को प्रत्येक गुरूवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए|केसर का भी प्रयोग करना चाहिए|
  • यदि ऐसे लोग गुरूवार को गाय को भोग अर्थात दो आटे के पेड़े पर थोड़ी हल्दी लगाकर थोडा गुड तथा चने की गीली दाल का भोग देना चाहिए|
  • भूलकर भी बजुर्गों का अपमान न करें|बजुर्ग व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए|
  • यह प्रयोग शुकल पक्ष के प्रथम गुरूवार से करना चाहिए|गुरूवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई के साथ हरी इलाइची का जोड़ा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिए|यह लगातार तीन गुरूवार करना चाहिए|
  • गुरूवार को केले के वृक्ष के समक्ष गुरु के १०८ नामों के उच्चारण के साथ शुद्ध घी का दीपक तथा जल अर्पित करना चाहिए|
  • अब यहाँ आपको ऐसा उपाय बताया जा रहा है जिसका प्रयोग करने से विवाह में कोई भी रूकावट नही आएगी|जिस समय का योग आपकी कुंडली में है,तो विवाह उसी समय होगा|इसके लिए मंगलवार को प्रातः सूर्योदय काल में एक सुखा नारियल लें|३०० ग्राम बूरा यानि पीसी शक्कर तथा ११ रूपए का पंचमेवा मिला लें|नारियल मैं इतना बड़ा छेद करें,जिसमे आपकी ऊँगली जा सके|उसमे पीसी शक्कर व पंचमेवा मिलाकर भर दें,और किसी पीपल के नीचे थोडा गद्दा कर दबा दें|जो शक्कर बच जाये उसे गद्दे के ऊपर ही डालकर एक पत्थर रख दें|जिससे कोई जानवर उसे निकाल न सके|ऐसा आप सात मंगलवार को करें|किसी भी कन्या के लिए इसे लगातार सात मंगलवार करना नामुमकिन है तो अस्वस्थ दिनों में न कर के उसके बाद शुद्ध होने पर पुन:आरम्भ कर सकती है|इस प्रयोग में यह सावधानी रखनी है की सोमवार की रात्रि से मंगलवार प्रयोग होने तक जल नहीं पीना है और किसी से भी बात नहीं करनी है|सात मंगल होने के बाद आप स्वयं ही चमत्कार देखेंगे|
  • यदि किसी कन्या की पत्रिका में मंगली योग होने के कारण विवाह में बाधा आ रही है तो व कन्या मंगल चंडिका स्त्रोत का मंगलवार तथा शनिवार को सुंदर काण्ड का पाठ करे|इससे भी विवाह बाधा दूर होती है|
  • शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात:स्नान करने के बाद किसी बहते जल में प्रवाहित कर दें|यह प्रयोग भी चमत्कारी है|
  • शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को १२०० ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चा दूध दान करें|जब तक विवाह न हो ,तब तक यह प्रयोग करते रहना है|इस प्रयोग में आपका विवाह होना आवशयक है|
  • कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहन पर कन्या को मेहँदी लग रहे हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस कन्या के हाथ से लगवा ले तो विवाह का मार्ग प्रशस्त होता है|
  • कन्या सफेद खरगोश को पाले तथा अपने हाथ से उसे भोजन के रूप में कुछ दे|यदि विवाह में बुध रूकावट दे रहा हो तो खरगोश को हरी घास खिलाएं|
  • कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से,लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे|विवाह की चर्चा सफल होगी|
  • पूर्णिमा को वाट वृक्ष की १०८ परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है|गुरूवार को वाट,पीपल,केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर होती है|